जब भी मेरी तनहाई उदास होती है
उसकी khamoshi से बात होती है
चुप रहकर वो सारी बात कहती है
अपनी रूखी पल्नको को भिगोती है
चमकते चांद को वो देखती है
पर अंधेरे कि उसको तलाश होती है
घंटो बेठे गिनती है तारे आसमान के
लेकिन कोशिशे नाकामयाब होती है
छुपाया नही कुछ हमेशा कहती है
हर चुप्पी मे पर कोई बात होती है
लपेटे रहती है हंसी चेहरे पर
पर भीतर से अक्सर उदास होती है
नही कोई सुनने वाला है उसकी
अंतर से ऐसी कोई आवाज़ उठती है
खो गयी अगर दुनिया के शोर मे
ये सोच- सोच कुछ नही कहती है
जब भी मेरी तनहाई उदास होती है
उसकी बस.....khamoshi से बात होती है
उसकी khamoshi से बात होती है
चुप रहकर वो सारी बात कहती है
अपनी रूखी पल्नको को भिगोती है
चमकते चांद को वो देखती है
पर अंधेरे कि उसको तलाश होती है
घंटो बेठे गिनती है तारे आसमान के
लेकिन कोशिशे नाकामयाब होती है
छुपाया नही कुछ हमेशा कहती है
हर चुप्पी मे पर कोई बात होती है
लपेटे रहती है हंसी चेहरे पर
पर भीतर से अक्सर उदास होती है
नही कोई सुनने वाला है उसकी
अंतर से ऐसी कोई आवाज़ उठती है
खो गयी अगर दुनिया के शोर मे
ये सोच- सोच कुछ नही कहती है
जब भी मेरी तनहाई उदास होती है
उसकी बस.....khamoshi से बात होती है
6 comments:
Beauty!!!
sahi hai yar aur hindi main padhne ka maza hi kuch aur hai....
har line khamoshi se baat karte hue dil ko chooti hai..
khamoshi kuch nahi bahut kuch kehti hai...
tanhai and khamoshi are best friends and they make the most noise!
Brilliant post.. as always!
If i tell you frankly, I have experienced this poem so many times. and now you converted that in words.
True and very effective.
pata nahi kis mauj mein khud ko chod aay hoo..
ki har baar saahil par hi aa ke bikhar jata hoo..
in boondo ki pyaas ki khwaahish hai itni..
ki fir un maujo mein hi chal jata hoo...
loved every bit of ur poetry...:)
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jab tanhai khamoshi se baat karti hai shayad sabse jyadaa shor tabhi hota hai or..................
amazing thinking
maja a gaya
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