जब भी मेरी तनहाई उदास होती है
उसकी khamoshi से बात होती है
चुप रहकर वो सारी बात कहती है
अपनी रूखी पल्नको को भिगोती है
चमकते चांद को वो देखती है
पर अंधेरे कि उसको तलाश होती है
घंटो बेठे गिनती है तारे आसमान के
लेकिन कोशिशे नाकामयाब होती है
छुपाया नही कुछ हमेशा कहती है
हर चुप्पी मे पर कोई बात होती है
लपेटे रहती है हंसी चेहरे पर
पर भीतर से अक्सर उदास होती है
नही कोई सुनने वाला है उसकी
अंतर से ऐसी कोई आवाज़ उठती है
खो गयी अगर दुनिया के शोर मे
ये सोच- सोच कुछ नही कहती है
जब भी मेरी तनहाई उदास होती है
उसकी बस.....khamoshi से बात होती है
उसकी khamoshi से बात होती है
चुप रहकर वो सारी बात कहती है
अपनी रूखी पल्नको को भिगोती है
चमकते चांद को वो देखती है
पर अंधेरे कि उसको तलाश होती है
घंटो बेठे गिनती है तारे आसमान के
लेकिन कोशिशे नाकामयाब होती है
छुपाया नही कुछ हमेशा कहती है
हर चुप्पी मे पर कोई बात होती है
लपेटे रहती है हंसी चेहरे पर
पर भीतर से अक्सर उदास होती है
नही कोई सुनने वाला है उसकी
अंतर से ऐसी कोई आवाज़ उठती है
खो गयी अगर दुनिया के शोर मे
ये सोच- सोच कुछ नही कहती है
जब भी मेरी तनहाई उदास होती है
उसकी बस.....khamoshi से बात होती है